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मूल्य आधारित समाज के निर्माण में पत्रकारिता विषय पर संगोष्ठी आयोजित

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पत्रकारिता से दे सकते हैं समाज को नई दिशा
– मूल्य आधारित समाज के निर्माण में पत्रकारिता विषय पर संगोष्ठी आयोजित
ें पत्रकारों का शॉल ओढ़ाकर और मोमेंटो देकर किया सम्मान
– माऊंट आबू से पधारे बीके कोमल ने बताए मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता के सूत्र
– प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के सागर मकरोनिया प्रभाकर नगर सेवाकेंद्र पर आयोजन
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08, अप्रैल, सागर। आज पत्रकारिता में बाजारवाद पूरी तरह से हावी हो गया है। गलाकाट प्रतियोगिता और सनसनी खेज का समय चल रहा है। पत्रकारों के ऊपर तमाम तरह के दबाव हैं। इन सबके बीच हम पत्रकारिता के माध्यम से समाज को सकारात्मक दिशा दे सकते हैं। यही हमारे मूल्य हैं। यदि आज पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी और माखनलाल चतुर्वेदी को सम्मान और गौरव के साथ याद किया जाता है तो उनके उच्च मूल्य, सिद्धांत और अपनी कलम के माध्यम से समाज में बदलाव लाने के कारण।

उक्त उद्गार माऊंट आबू से पधारे ब्रह्माकुमारी संस्थान के मुख्यालय पीआरओ एंव पीस ऑफ माइंड चैनल के न्यूज हैड बीके कोमल ने व्यक्त किए। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के सागर मकरोनिया प्रभाकर नगर स्थित सेवाकेंद्र की ओर से रविवार को संगोष्ठी एवं पत्रकार सम्मान समारोह आयोजित किया गया।

मूल्य आधारित समाज के निर्माण में पत्रकारिता की भूमिका विषय पर संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में पहले भी चुनौतियां थीं और आज भी हैं लेकिन हमें इन्हीं के बीच अपनी कलम के माध्यम से समाज को सकारात्मक दिशा देना होगी। क्योंकि आज मीडिया पर सभी को आस है। यदि आपका जीवन श्रेष्ठ, मूल्यनिष्ठ और आदर्शवान होगा तो समाज को भी मूल्य दे पाएंगे।

अंतरराष्ट्रीय बिहेवियर सांइटिस्ट व जाने-माने लेखक, स्तंभकार डॉ. अजय शुक्ला ने कहा कि समाज के मार्गप्रदर्शकों ने अपनी सुविधानुसार और स्वार्थी सिद्धी के चलते वेद-शास्त्रों और गं्रथों में से नकारात्मक बातों को निकालकर समाज में फैला रहे हैं जो लोगों को भटकाव की ओर ले जा रहा है। मनुष्यता खत्म हो रही है और ऐसी बातों को मीडिया बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है जिससे समाज में और नकारात्मक माहौल बनता है। इसकी जगह समाज में घट रही सकारात्मक घटनाओं को अपनी कलम के माध्यम से बढ़ावा दें तो समाज में जहां मूल्यों को बढ़ावा मिलेगा वहीं लोगों में आशा का माहौल बनेगा।
आत्मा को सशक्त बनाना होगा

डॉ. शुक्ला ने कहा कि हमारे अंदर दूसरों के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना, श्रेष्ठ विचार और संकल्प तभी आएंगे जब हमारी आत्मा सशक्त होगी। राजयोग मेडिटेशन के अभ्यास से हमारा मन सुमन और निर्मल बन जाता है। मन निर्मल होने से जहां हमारे संकल्प पवित्र होते हैं वहीं दूसरों के प्रति कल्याण का भाव जागृत होता है। इससे जीवन में मूल्यों का संचार होता है। पत्रकार जब मानसिक रूप से सशक्त, मजबूत और आत्मबल से ओत-प्रोत होगा तभी वह समाज के लिए कुछ दे पाएगा।

मूल्यों को लेकर करें पत्रकारिता

इंक मीडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जर्नलिज्म के डायेरक्टर डॉ. आशीष द्विवेदी ने कहा कि पहले के समय में राजनीति और पत्रकारिता की जुगलबंदी हो जाए, मित्रता हो जाए तो समझा जाता था कि कहीं न कहीं गड़बड़ है। जब नेता एक रिपोर्टर की बुराई करता हो कि वह गड़बड़ है तो माना जाता था कि पत्रकारिता जिंदा है। लेकिन जब एक नेता एक रिपोर्टर की तारीफों के पुल बांधने लगे तो इसका संकेत है कि कहीं न कहीं पत्रकारिता खत्म हो चुकी है। कुछ समय बाद चुनाव आने वाले हैं, ऐसे में पेड न्यूज, बांटेड न्यूज कई तरह की खबरें आएंगे, इन स्थितियों में यदि हम अपने मूल्यों के साथ पत्रकारिता करते हैं तो सही मायने में यही आदर्श पत्रकारिता है।
सागर सेवाकेंद्र की संचालिका बीके छाया दीदी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि यदि पत्रकारों में मूल्य हैं तो वह पूरे समाज को मूल्यनिष्ठ बना सकते हैं और सही दिशा दे सकते हैं। खुरई सेवाकेंद्र की संचालिका बीके किरण दीदी ने कहा कि संस्था की स्थापना वर्ष 1937 में दादा लेखराज ने की थी। संस्था का शुरू से ही उद्देश्य नैतिक मूल्यों की पुर्नस्थापना रहा है। आज संस्थान द्वारा भारत के प्राचीन राजयोग और आध्यात्मिकता की शिक्षा विश्व के कोने-कोने में दी जा रही है।

राजयोग मेडिटेशन की अनुभूति कराई

बीके लक्ष्मी बहन ने राजयोग मेडिटेशन के द्वारा आत्मानुभूति कराई। उन्होंने कहा कि अपने मन में सदा श्रेष्ठ संकल्प रखें। रोजाना दस मिनट निकालकर प्रभु स्मरण करें कि मैं एक बहुत ही आदर्शवान और मूल्यनिष्ठ पत्रकार हूं। मेरा जन्म समाज को नई दिशा देने और लोगों के कल्याण के लिए हुआ है। मेरे कंधों पर समाज के नवनिर्माण की जिम्मेदारी है। संचालन करते हुए बीके नीलम बहन ने इस संगोष्ठी का लाभ लेने और पत्रकारिता के नए मापदंड स्थापित करने का आह्नान किया। आभार बीके सरोज दीदी ने माना। इस मौके पर डॉ. अशोक पन्या, वरिष्ठ पत्रकार पंकज सोनी, यूटीडी पत्रकारिता विभाग के प्रो. डॉ. राकेश शर्मा, टीकमगढ़ से आए वरिष्ठ एडवोकेट रघुवीर सहाय चौबे सहित बड़ी संख्या में शहर सहित जिलेभर के पत्रकार उपस्थित रहे।

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संत सम्मेलन एवं सम्मान समारोह आयोजित

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राम राज्य लाने के लिए हर एक को राम बनना पड़ेगा: आचार्य परमानंद महराज 
 
– संत सम्मेलन एवं सम्मान समारोह आयोजित 
– मंडी बामोरा सहित आसपास के गांवों से आए संत महात्माओं का किया सम्मान 
मंडी बामोरा। ब्रह्माकुमारीज़ के मंडी बामोरा सेवाकेंद्र द्वारा सोमवार को चंद्र महल गार्डन में संत सम्मेलन एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया। विश्व एकता एवं विश्वास के लिए ध्यान विषय पर संबोधित करते हुए सतना से आए आचार्य एवं राष्ट्रीय प्रेरक वक्ता आचार्य परमानंद महराज ने कहा कि गीता ज्ञान की सबसे ज्यादा जरूरत गृहस्थ में रहने वाले लोगों के लिए है। सभी समस्याएं गृहस्थ वालों के जीवन में ही आती हैं। गृहस्थी ही पांच विकारों में सबसे ज्यादा फंसे रहते हैं। साधु – संत तो वैसे ही इन सब मोह माया से परे रहते हैं।
उन्होंने कहा कि हर वह व्यक्ति साधु है जिसके आचरण और व्यवहार में साधुता है। जिसका जीवन दिव्य, पवित्र और योगी जीवन है।
जो कार्य साधु संतों को करना चाहिए वह ये बहनें कर रही हैं –
आचार्य परमानंद महराज ने कहा कि आज भी समाज में नारी को संत बनना बहुत कठिन है। लेकिन ब्रह्माकुमारीज से जुड़कर संत के रूप में 50 हजार से अधिक श्वेत वस्त्रधारी बहनें विश्व के 140 देशों में सनातन संस्कृति की सेवा में जुटी हैं। समय निकाल कर इनके आश्रम में जाएं और सत्य को जानें। ब्रह्माकुमारी संस्था के भारत सहित विश्वभर में करीब आठ हजार से अधिक सेवाकेंद्र हैं। जो कार्य हमारे साधु संतों का है, वह कार्य इन बहनों को करना पड़ रहा है।
रामराज्य लाने के लिए अपने अंदर के रावण को मारना पड़ेगा –
उन्होंने कहा कि रामराज्य लाने के लिए रावण का मरना जरूरी है। रामराज्य लाने के लिए हर एक व्यक्ति को राम बनना पड़ेगा और अपने अंदर के रावण को मारना पड़ेगा। पांच विकार हमारे अंदर भरे हुए हैं। रावण तभी मरेगा जब हर एक व्यक्ति जागृत हो जाए कि हमें अपना जीवन श्रेष्ठ, महान बनाना है, तभी रामराज्य आएगा। सबके अंदर जो दुःख देने वाला रावण बैठा है, जब वह मर जाएगा तो सुख, शांति आएगी। जब तक परिवर्तन नहीं होगा तब तक सतयुग नहीं आएगा। हर किसी को जानना जरूरी है कि जीवन का लक्ष्य क्या है, कहा जाना है। जब तक मोह है तब तक जीवन में दो चीजें हमेशा बनी रहेंगी – डर और चिंता। सारे दुःख की जड़ मोह है। इन बहनें के पास मोह को खत्म करने की जड़ीबूटी है।
एकाग्र होकर ध्यान साधना करें –
बीना से आए बड़ा मंदिर के महामंडलेश्वर महंत राधामोहन दास महाराज ने कहा कि परमात्मा को प्राप्त करना है तो भटकाव मत करिए आपने जो मार्ग चुना है, उसी पर एकाग्र होकर ध्यान साधना करिए। सभी धर्मों की, संत महात्माओं की विचारधारा अलग-अलग हो सकती है लेकिन सभी का लक्ष्य एक है। सनातन संस्कृति के साथ सभी धर्मों का संदेश इंसान को सत्य, ईमानदारी की राह दिखाना है। सनातन धर्म सत्य है, अनादि है। ब्रह्माकुमारीज की ये बहनें सनातन संस्कृति और धर्म की शिक्षा देने के लिए सेवा में जुटी हैं। लोगों को अच्छे मार्ग पर लाने, सकारात्मक जीवन और नशामुक्त बनाने की सेवा में जुटी हैं। आप जिस भी आराध्य को मानते हैं उन्हें पूरी तरह से मानें।
राजयोग से कराई शांति की अनुभूति –
संचालन करते हुए ललितपुर की बीके चित्ररेखा दीदी ने ब्रह्माकुमारी के इतिहास और राजयोग मेडिटेशन के बारे में बताया। बीना की बीके सरोज दीदी ने कहा कि परमात्मा के ध्यान के बिना आत्म कल्याण नहीं हो सकता है। भोपाल की बीके मधु दीदी ने कहा कि आत्मा का स्वरूप ज्योति स्वरूप है जो प्रकाशमान है। तिलक आत्मा के ज्योति स्वरूप का प्रतिबिंब है। परमात्मा के ध्यान से ही आत्मा विकारों से मुक्त होकर सतो प्रधान बन जाती है। सेवाकेंद्र प्रभारी बीके जानकी दीदी ने स्वागत भाषण देते हुए योग की गहन अनुभूति कराई। बीके पुष्पेंद्र से मुख्यालय माउंट आबू में की जा रही सेवाओं और धार्मिक प्रभाग के बारे में बताया।
इस मौके पर बीके सरस्वती बहन, बीके रिया बहन, बीके मधु बहन ने आसपास के गांवों से आए मंदिरों के पुजारियों, महंतों आदि का पट्टा, माला पहनाकर और श्रीफल से स्वागत- सम्मान किया। नगर की ओर से सरपंच दामोदर प्रसाद राय ने अतिथियों का सम्मान किया।
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LIVE 19-09-20, 07.30 pm: Ghar ko Mandir Banane Ki Kala BY BK Geeta Didi ji (Madhuban)

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ब्रह्माकुमारी की सद्भावना राखी मेडिकल कैम्प रविन्द्र भवन में

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रविंद्र भवन में आज मेडिकल कैम्प में ब्रह्माकुमारी बहनों ने सद्भावना राखी बांधी।
ब्रह्माकुमारी नीलम बहन ने कैम्प में उपस्थित डॉक्टर्स और मरीजों  को बताया गया कि तन की बीमारी का कारण मन की बीमारी है अतः मन को ठीक करने के लिए हमे अपनी विचार शक्ति को सकारात्मक करना होगा और सुबह उठते ही यही विचार मन मे लाने होंगे कि में स्वस्थ हुँ।मैं शक्तिशाली हुँ।रक्षाबंधन का सही अर्थ बताया कि रक्षाबंधन अर्थात विष तोड़क पर्व ।इस दिन बहने भाई को राखी बांधती है।और ये कामना करती है कि भाई बहनों की रक्षा करे।परंतु आज हर एक को जरूरत है बुराइयों से,बुरी आदतों से,व्यसनों  आदि से रक्षा करने की। इन सब से बचने के लिए हमे अपने आत्मा के सत्य स्वरूप को जानकर कि मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हुँ।पवित्रता मेरा निज स्वरूप है।पवित्रता के न होने के कारण आज हम राखी का पवित्र धागा बांधते है।विषय विकारों रूपी विष को तोड़ने के लिए यह राखी का पर्व मनाया जाता है।
इस आयोजन में ब्रह्माकुमारी लक्ष्मी बहन,बी के मोहिनी बहन,बी के हेमलता बहन,बी के सुनील भाई ,रविन्द्र भवन ट्रस्ट आयोजक डॉक्टर राजेश पंडित,डॉक्टर दिवाकर,IMA की अध्यक्ष डॉक्टर नीना और ट्रस्ट के सभी सदस्यों की उपस्थिति रही

 

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Brahma Kumaris Sagar